कांग्रेस नेता राहुल गाँधी लगातार केंद्र सरकार पर कोरोना को लेकर किये गए मिस मैनेजमेंट पर हमलावर रहते हैं. राहुल गाँधी ने इस महामारी के दौर में समय समय पर केंद्र को आइना दिखाने का काम किया है और कई दफा ज़रूरी सुझाव भी दिए हैं. हालाँकि, राजनीति के कारण राहुल गाँधी के सुझाव को बीजेपी सरकार ने नजरंदाज किया, और उसका भयानक मंजर हमने देखा. कोरोना ने भारत में जितना तांडव मचाया उसमे भारत सरकार की गलती का बड़ा योगदान रहा है.

अब जब देश में वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई है ऐसे में भी केंद्र की वैक्सीन नीति सवालों के घेरे में है. कई दफा जानकार इस नीति को सवालों के घेरे में खड़ा कर चुके हैं. दरअसल राहुल गाँधी ने शनिवार को एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्वीट किया कि मई महीने में प्राइवेट अस्पतालों को दिया जाने वाला वैक्सीन का ज्यादातर हिस्सा  सिर्फ 9 बड़े अस्पतालों को जिसमे ( फोर्टिस,फोर्ड,रिलायंस ग्रुप, आदि) जैसे बड़े नाम शामिल हैं, को दिया गया. यही नहीं, जो बाकी बचे वैक्सीन थें उसको भी उन अस्पतालों को दिया गया जो बड़े बड़े शहरों के अस्पताल थें. यहीं नहीं, केंद्र की नीति में ये भी है कि राज्य ख़ुद भी वैक्सीन ले सकते हैं. ऐसे में राज्य सरकारों के बिच आपस में होड़ मच गई. जबकि जानकार मानते हैं कि वैक्सीन नीति ऐसी होनी चाहिए जो पारदर्शी हो और बराबरी का भी पूरा ध्यान रखा जाए. इसलिए केंद्र सरकार को वैक्सीन खरीदी ख़ुद करनी चाहिए और राज्यों को उनकी जरुरत के हिसाब से देने चाहिए, जिसके बाद वितरण राज्य सरकार के जिम्मे होगा. 

राहुल गाँधी ने ट्वीट कर केंद्र सरकार को इस दिशा में काम करने को कहा है.