कहते हैं राजनीति में लंबी पारी के लिए सयम बहुत ज़रूरी है, और अगर आपने सयम बनाए रखा तब एक दिन ऐसा होगा जब आपको अचानक से आपके हिस्से का भरोसा मिल जाएगा. राजनीतिक गलियों में इमरान मसूद का नाम नया तो बिलकुल नहीं है, मगर उनको दिल्ली कांग्रेस का प्रभारी बना देना बिलकुल नया प्रयोग नज़र आ रहा है. कांग्रेस के तमाम नेता अक्सर नरम माने जाते हैं मगर इमरान उन गिने चुने कांग्रेसी नेताओं की लिस्ट में से हैं जो गरम दल के हैं. इमरान पहली बार चर्चा में तब आये थें जब उन्होंने 2014 में नरेन्द्र मोदी के खिलाफ "बोटी-बोटी" जैसी अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया था. हालाँकि उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी. 

नगर पालिका के अध्यक्ष के रूप में राजनीति में आने वाले इमरान ने 2007 में विधायक का चुनाव भी जीता था हालाँकि उसके बाद वो न विधायक का चुनाव जीत पाए और न हीं सांसद का. मगर जिस भी सीट पर खड़े हुए वहाँ चुनौती अच्छी खासी पेश की. छोटे छोटे अंतर से हार का मुहँ देखने वाले इमरान के कंधे पर दिल्ली काभार है. वो दिल्ली जहाँ कांग्रेस पिछले चुनाव में शून्य पर पहुँच चुकी है. इमरान के लिए ये चुनौती आसान तो बिलकुल नहीं है मगर एक बात है कि भरोसा उसी कंधे पर दिया जाता है जो भरोसेमंद नज़र आता है. अब तो ये वक्त हीं बताएगा कि कितनी हद तक वो अपने ऊपर इस भरोसे को सही साबित कर पाते हैं.